मनुष्य पुनरावृत्ति का व्यसनी है और इस आदत में शब्द भी कोई अपवाद नहीं। दोहराने की क्रिया में मन बहुत निपुण है। जो भी दोहराया जाता है वह सत्य बन जाता है और इसी लिए जो पहले से ज्ञात है, उसे सुनने की सहज पसन्द सतत रहती है। हर एक सी.डी के विषय वस्तु नवीन है और यह किसी किताब या पुस्तकालय में पाया नहीं जाता। जो ज्ञान मनुष्य को ज्ञात है, उसकी सहायता की ज़रूरत उन्हें नहीं होती। वे अतीत और कम से कम भविष्य से तो कोई संदर्भ नहीं रखते। वे श्रोता को समयहीन और विचारहीन "अब" में ले आते हैं, जहाँ हर मनुष्य जीता है, और जहाँ वास्तव में जीवन है। इन सीडियों में जो भी शब्द हैं, वे डॉ.विजय शंकर के हैं जो जीवन के अपने समझ को उन लोगों के साथ बाँटने आये हैं, जो ज्ञानोदय को खोज रहे हैं।
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