मनुष्य जब बोलता है,तब उसके शब्द प्रामाणिक और महत्वपूर्ण होने का तभी माना जाता है जब उनका समर्थन मान्यताओं और तथ्यों से किये जाते हैं। यह इसलिए होता है क्यों कि मनुष्य ज्ञात से सुखद है जो उसके लिए ज्ञान है। फिर भी, ये डी.वी.डियाँ, डॉ:विजय शंकर द्वारा दी हयी स्वाभाविक वार्ता हैं। वे समझाते हैं कि जिस संसार में मनुष्य, अपने आप को पाता है, वह एक चाक्षुष और श्रवणात्मक माया है जो समयहीन और विचारहीन 'अब' और अनाम 'यहाँ' में, जो वास्तव में जीवन है, वह रोशनी और ध्वनि से अभिव्यक्त की गयी है। सचेतन वह वरदान है जो वक्ता द्वारा उन लोगों के लिए प्रदान किया गया है, जो उसे प्राप्त कर पायेंगे।

 

 

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